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ર पेथंडकुमारका परिचय.
लापसी बनवाकर संघ में बांटने के निमित्त से तीर्थदर्शन का आनन्द प्रदर्शित कराने लगा ।
यहां से रवाना हो कर पवित्र श्री संघ वाजिन्त्रादि नादयुक्त नाटक और धवल मंगल के बने वावके साथ पा
लोताने जा पहुंचा। वहां श्री सिद्ध गिरीक बजे आनन्दसे यात्रा करके श्री गिरनारजी की यात्राकी | जांऊन कुमार ने सिद्धाचलजी से रैवत गिरी तक ५६ धम। सोनेकी लम्बी ध्वजा
११ मूंढा गेहूं की लापसी बनाई - अनेक प्रकार की मन गमती रसोई से सबको जिमाए, भाव पूर्वक यात्रा करके पालीताने आया " इस पकारसे जो लिक्खा है वह सम्भव मालुम नहीं होता क्यों कि ११ मूढा लापमी से २ || लाख मनुष्य नहीं जोम सकते (देखो मूल ग्रन्थ ) - लेखक.