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पेथडकुमारका परिचय
को " राजबन्दी बोटक " इस नामकी उपाधी प्रदान की ।
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स्वदेश में शुभागमन ।
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कितनेक समय तक सारंगदेव राजाकी शीतल छाया में रह कर आज्ञा प्राप्त करने के बाद संघ स्वदेश की तरफ रवाना हुवा | अपने अद्भुत कार्यों से सब को आश्चर्य चकित करता हुवा और द्रव्य की वृष्टी बरसाता हुवा संघ पती ताम्रावती (खम्जात) आदि नगरों में श्री स्थंजन पार्श्वनाथ महा राज आदि जिनेश्वर जगवान की यात्रा करता हुवा मांगवगढ पास जा पहुंचा।