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६० पेथडकुमारका परिचय.
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श्री सुपार्श्वनाथकी प्रतिमाकी
उत्पत्ति और इसतीर्थकी प्रख्याति ।
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उपदेश तरंगिण में लिक्खा है कि
वनवास में श्री लक्ष्मणजीने सीताजी के लिये सातवें श्री सुपार्श्व
के
पूजन
नाथ जगवान की मूर्ति बनाई उस
मूर्ति के सबब से इस तीर्थ को प्रख्याति
हुई और चैत्यवन्दन में नोचे लिखे माफिक कहने में खाया | मांगगढनो राजियो, नामे देव सुपास |
ऋषम कहे जिन समरतां, पहुंचे मननी खास ॥
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