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५८ पेथडकुमारका परिचय.
प्रत्नावसे सब अच्छा होगा ऐसा कहकर * गुरुवर्य अहमदावाद होकर बमोदे प20 हुंचे। वहां श्री जिनेश्वर देव के दर्शन है
किये और विगयका त्याग कर आ
म्बिल; नोवी, आदि तप करते हुवे * श्री मांडवगढ पहुंचे।
PRESISEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEERS जहांगीर बादशाह से मुलाकात
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मांमवगढ पहुंचकर सब मुनिजनोंने श्री विजयदेव सूरिजी को वन्दन किया । सूरिजो की बादशाह के साथ मुलाकात हुई और वार्तालाप से खुश होकर र श्री विजयदेव सूरीश्वर को “ सवाई
महातपा” नामक उपाधि प्रदान की। श्रावक लोग प्रतिदिन महोत्सव करने