Book Title: Mandavgadh Ka Mantri Pethad Kumar Parichay
Author(s): Hansvijay
Publisher: Hansvijay Jain Free Library

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Page 96
________________ KRRIGERGRIGHTTARRIEF र ५६ पेथडकुमारका परिचय कह देना चाहिये कि इन ग्रथों में इनका पाएिमत्य और कवित्व अच्छी तरह प्रगट हो रहा है। * श्री विजयदेव सूरीश्वरको मांडवगढ १ + पधारने के लिये जहांगीर बादशा-१ हका आमत्रण. अकबरके पोडे उप्तका लमका ज. हांगीर बादशाह देहली में तख्तनशीन हवा और पमाव डालकर मांमत्रगढ में रहता था। उसने फरमान लिख ___ * मुम्बई के श्री अध्यात्मज्ञान प्रसारक मंडल की तरफ से गुजरातो लीपी में छपी हुई जैन पतिहासिक रासमाला प्रथम भाग की समालो. चना के २६ वे पृष्टपर श्रीयुत् मोहनलाल दलो चंद देसाई पो. ए. एल. एल. बी. ने लिक्खा है है उससे उधृत । लेखक

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