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मांडवगढकामन्त्री
मंकन के जीवन चरित्र के विषय में उसके मित्र महेश्वर नामक कवीने काव्य मनोहर नामक सात सर्गों का एक बोटासा काव्य लिखा है उसमें मंकन के पूर्वजों का और मंमन का संक्षेप में जीवन वृत्तान्त उल्लिखित है ।
उसकी जी दो प्रतियें मंगन की लिख बाई हुई एक ही लेखक की लिखी हुई उक्त जाएगार में विद्यमान हैं ।
संमन की जांति धनदराज या धनदजी बमा अच्छा विद्वान था । "धनदत्रीशती" नामक एक ग्रन्थ राजर्षिर्तृहरी की " शतक त्रयी" का अनु करण करनेवाला, उसका लिक्खा हुवा है | यहां पर इसका विशेष उल्लेख नहीं किया जाता है तो जी इतना अवश्य
MANTRAK