________________
४४ पेथडकुमारका परिचय. तोरण आदि से श्रृंगार कर स्वयं रा. * जाकी पेशवाई में गया और बमे स
न्मान के साथ राजा को अपने तम्बू में पदार्पण करवाया उस वक्त मंत्रोको पत्नी ने राजाको मो तयों से बधा कर सिंहासन पर बैठाया। राजा, कांऊन कुमार आदिका स्नेह नाव से आनन्द मंगल पूबने लगा इस अवसर पर संघ के बम बमे श्रावकों ने राजा को लद अव्य को नेट की। “ तृणं लघु तृणात्तलं
तूलादपि हि याचकः” इस वाक्य के अनुसार वह राजा अपना हाथ, किसी के हाथ के । नोचे नहीं रखताथा इस कारण से मंत्री जब राजाको ताम्बुल देने आया तब राजाने उसके हाथ से बोमा ऊपट