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पेथडकुमारका परिचय
ज्ञानभक्ति और ज्ञानमंदिर ।
एक समय बहुमूल्य वस्त्रालङ्कारोसे विनूषित प्रातःकाल के वक्त मंत्रीश्वर ) पेथमकुमार घोमेपर सवार होकर बमे ५
आमम्बर से गुरु वन्दना करने के लिये पोशधशाला में गया। नक्तिपूर्वक गुरु * महाराज को नमस्कार करके गुरु महाराजका व्याख्यान सुनने लगा, उस समय गुरुमहाराज जगवती सूत्रका कथन कर रहे थे उस कथन में वारं वार श्रीगोतमस्वामी का नाम सुनकर
पेथमकुमार कहने लगा कि हे स्वामिन्! * * मेघमाला देखकर जैसे मोर नाचता
है वैसे ही श्रीवीर प्रजुकी पवित्रवाणी सुनकर मेरा मन बहुत ही रञ्जित ।