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माडवगढकामन्त्री ३३। उसको मंत्री की पत्नीने कहा कि अनो मंत्रीश्वर देवपूजन में रुके हुवे हैं इतने में फिर तीसरा आदमी आया और उसने दासीके साथ प्रार्थना करवाई कि इसी समय अत्यन्त आवश्यकीय कार्य आजानेसे मंत्रीश्वरजी को महा. राज याद फरमा रहे हैं इस पर पद्म. नीने अमृत जैसे वचनोंसे उतर दिया कि लाई अजी तो दोघमीको देर है।
राजाकी आझाका मंत्रीश्वरने पालन नहीं किया और प्रनु नक्ति में लयलीन रहा मगर इस पर राजा क्रुक नहींहुवा और चढाई करनेका मुहूर्त । निकट होनेसे राजा स्वयं मंत्रोश्वरके ही
घर पर आगया उस समय देव विमान * जैसे सुन्दर मन्दिर में पेथमकुमार श्री