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पेथडकुमारका परिचय.
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पेथडकुमारकी प्रभुभक्ति।
************** * धर्मशिरोमणि सुश्रावक पेथमकुमार में
जैसे राज्य कार्य में तथा व्यापार कार्य
में निमग्न है वैसेही परमात्मा की त्रि. * काल पूजन करने में जी कली प्रमाद
नहीं करताथा । एक वक्त मध्यान्ह समय, केवलज्ञानरूपी लक्ष्मी के क्रोमागृह समान, गृह चैत्यालय में उक्त मं. त्रीश्वर प्रनु पूजन करके अङ्गरचना । कररहा था, इतने में सारङ्गदेव राजाकी फौजके मांझवगढ पर चढाने के समाचार मिले, उसी समय जयसिंह देव राजाने मंत्रोको बुलानेके लिये एक सुनटको नेजा परन्तु मंत्री नहीं मिला तब राजाने दूसरा सुजट नेजाम
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