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पेथडकुमारका परिचय.
पाश्वनाय प्रजुकी अंग रचना कररहा था और एकमाली पेथमकुमारको अङ्ग रचना के लिये पुष्प देता जा रहा था। उस मालीको उठा कर राजा, धी. रेसे मालीकी जगहपर बैठकर मंत्रीको फूल देने लगा परन्तु प्रज्जुनक्ति में मग्न
होनेसे मंत्रीश्वरको कुब जी खबर नहीं * पमी । लेकिन अनुक्रमसे जैसे चाहिये की
वैसे फूल न मिलने से प्रधानने मुंह फिरा कर देखा तो राजा साहब दीख पमे ! मंत्रीकी देव जक्तिसे प्रसन्न हो कर राजाने कहा कि घबरा मत स्थिर ही चित्त से पूजा करो मैं नीचे बैठता हूं ऐसा कहकर राजा उचित स्थानपर बैठ गया। मंत्री पेथमकुमार जी अङ्ग रचनाका कार्य सम्पुर्ण करके राजाके