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माडवगढकामन्त्री
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विलम्ब करने से बहुत दोष लगता है अतः अपनी प्रतिज्ञानुसार बप्पन धमी सोना जाएारमें देकर देवगुरु की जक्ति पूर्वक स्वधर्मी वात्सल्य करनेके बाद तपस्याका पारणा किया। उसी समय दूसरे धर्मोन्नतिके निमित्त जी ११ लाख रुपये १ वहा पर पेथमकुमार व्यय करके मामवगढ जाने के लिये रवाना हो गया ।
(४) " मांडवगढनो मंत्री पेथड कुमार" नामक गुजराती पुस्तक में "वली रूपाना टकाओनी ११ लाख घडिओं बीजी पण त्यां खरचता हुवा " इस माफिक छपा हुवा है यह भूलसे लिखा गया हो ऐसा मालुम होता है ।
(लेखक)