Book Title: Mandavgadh Ka Mantri Pethad Kumar Parichay
Author(s): Hansvijay
Publisher: Hansvijay Jain Free Library

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Page 68
________________ २८ पेथडकुमारका परिचय. अधिक बोली बोलने की हिम्मत नही हुई। तब सबने मिल कर इन्द्रमाला पेथमकुमारको पहिनादी और उक्त तीर्थ श्री श्वेताम्बर संघ का स्वीकार कर लिया। मंत्रीश्वर ने इन्माला से अपने कंठको अलंकृत करके अपना जन्म सफल माना सर्वत्र मांगलिक बाजेबजने लगे और संबके हृदय हर्ष से ५ आनन्दित हो गये। अन्तमें पेथमकुमार जन्म जरा की पीमाको मिटाने वाली आरती उतारकर और गिरनार तीर्थपर श्वेताम्बर संघका 3 * स्वतंत्र अधिकार सिफ करके पर्व * तसे नीचे उतरा और यह वि. चार करके कि देवऽव्य चुकानेमें ।

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