Book Title: Mandavgadh Ka Mantri Pethad Kumar Parichay
Author(s): Hansvijay
Publisher: Hansvijay Jain Free Library

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Page 38
________________ पार्थो ढोरसमद्रनीति ६७ सरस्वत्याव्हये पत्तने कोटाकोटिजिनेन्द्रमण्डपयुतः६८ शान्तिश्च शत्रुअये६९॥१४॥ श्रीतारापुर७०वईमानपुरयोः ७१ श्रीनाभिभूसुव्रतो नामेयो वटपद्र७२गोगपुरयो७३श्चन्द्रप्रभा विच्छने ७४ ओंकारेऽद्भुत तोरणं ७५ जिनगृहं मान्धातरित्रिक्षणं ७६ नेमिर्विकननाम्नि ७७ चेलकपुरे श्रीनाभिभू७८भूतये ॥१५॥ इत्थं पृथ्वीधरेण प्रतिगिरिनगरग्रामसोमं जिनाना-- मुच्चैश्चैत्येषु विष्वहिमगिरिशिखरैः, स्पर्द्धमानेषु यानि । बिम्बानि स्थापितानि, क्षितियुवतिशिरः, शेखराण्येष वन्दे तान्यप्यन्यानि यानि,त्रिदशनरवरैः,कारिताऽकारितानि१६ मगिरिशिलामसी जिनातये ॥१६॥

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