Book Title: Mandavgadh Ka Mantri Pethad Kumar Parichay
Author(s): Hansvijay
Publisher: Hansvijay Jain Free Library

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Page 42
________________ म २ पेथडकुमारका परिचय. गृहस्थ रहता था, उप्तको अवस्था * उस समय दारिज्य पीमित होनेसे की * दयाजनकथजब वह किसी तरह अपनी दरिमावस्था को नहीं मिटा * सका तो उसने जंगल में लटकना शुरु की किया, कहते हैं कि समय सदैव ए* कसा नहीं रहता, उसके नाग्यचक्र ने * पलटा खाया और दैवयोगसे उसे 'ना. गार्जुन' नामक योगीराज के दर्शन हुए। जब उस महात्माने उक्त देदा. शाह को देखा तो वह प्रसन्न हुआ है और उसके चिन्होंसे परोपकारी पुरुष जानकर उसको “ सुवर्ण सिद्धि” की • क्रिया बतलाई । देदाशाहने तदनुसार सुवर्ण बनाया और उस महात्मासे आज्ञा लेकर अपने घर लौट आया।

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