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+ ६ पेथडकुमारका परिचय.
गुरु महाराजने कलिकाल की विषमता दीखाकर समझाया कि सुवर्ण की पौषधशाला बनवाना उचित न होगा।
उसी समयम शहरम एक व्यापार केशर के ५०॥* थैले विक्रयार्य लायाथा उनको कोई लेने वाला नहीं मिलता
था इससे उक्त व्यापारी बमी चिन्ता * में था उसको सन्तुष्ट करने व नगरी * को अपयशसे बचाने के लिए देदासेठ
ने केशर के सब थैले खरीद लिये और * उनमेंसे ४ए थैले केशर के नरे हुए ही * चूनेमें मलवा कर सुवर्ण मयो पौषध. * शाला बनवादी और १॥ थैला केशर * का परमात्माकी पूजन के लिए तीर्थो की 1 में नेज दिया। देदासेठ की ऐसी ज
* ५०॥ गुण्यो.