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मांडवगढकामन्त्री
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* पेथमकुमार अपने घर पर पहुंच गया।
देशान्तर गमन. स्थान मुत्सृज्य गहन्ति । सिंहाः सत्पुरुषाः गजाः ॥ तत्रैव निधनं यान्ति । काकाः कापुरुषा मृगाः ॥॥
सिंह सत्पुरुष और हाथी एक स्थान को त्यागकर स्थानान्तर चले जाते हैं
ऐसा विचार करके पेथम सेठ सपरि* वार मालवा प्रान्त में जाने के लिये
रवाना होगया, कितनेक दिन बाद
इधर उधर घूमता हुवा वह मांगवगढ र के दरवाजे पास जा पहुंचा शहर की ही
शोला देखकर उसको बहुत आनन्द भ प्राप्त हुवा और शुन्न शकुन लेकर न