Book Title: Mandavgadh Ka Mantri Pethad Kumar Parichay
Author(s): Hansvijay
Publisher: Hansvijay Jain Free Library

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Page 53
________________ ARTANARTAIRMATHAK मांडवगढकामन्त्री १३ * पेथमकुमार अपने घर पर पहुंच गया। देशान्तर गमन. स्थान मुत्सृज्य गहन्ति । सिंहाः सत्पुरुषाः गजाः ॥ तत्रैव निधनं यान्ति । काकाः कापुरुषा मृगाः ॥॥ सिंह सत्पुरुष और हाथी एक स्थान को त्यागकर स्थानान्तर चले जाते हैं ऐसा विचार करके पेथम सेठ सपरि* वार मालवा प्रान्त में जाने के लिये रवाना होगया, कितनेक दिन बाद इधर उधर घूमता हुवा वह मांगवगढ र के दरवाजे पास जा पहुंचा शहर की ही शोला देखकर उसको बहुत आनन्द भ प्राप्त हुवा और शुन्न शकुन लेकर न

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