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+ २२ पेथडकुमारका परिचय.
को ठगेकर मार कर और परस्पर के प्रेम * स्नेह को तिलाञ्जली दे कर बत्तीस वर्ष ही * की युवावस्था में दोनों महानुनावों में हर
चतुर्थव्रत अंगीकार कर लिया। और र इस व्रत का एसी सुन्दर रीति से पा. लन किया कि उनके वचन से तोक लेकिन पेथमकुमार के वस्त्र के प्रनाव
से ही लीलावती राणीका महान रोग * नष्ट हो गया जो कि लाखों रुपये के
खर्च करने और अनेक मंत्र जंत्र जमा
बूटी आदि विविध उपचारोंसें जी नष्ट # नही होताथा । एसे ही राजा का
पटहस्ती पिशाच लगने से मृत्यु तुल्य होगया था वह नी मंत्री के वस्त्र -
ढाने से अच्छा होगया इस अद्भुत च- मत्कार को देखकर राजाने पांच वस्त्र,