Book Title: Mandavgadh Ka Mantri Pethad Kumar Parichay
Author(s): Hansvijay
Publisher: Hansvijay Jain Free Library

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Page 56
________________ HAMARITRINAKERAYAK १६ पेथंडकुमारका परिचय. तिर्थोछार व गरीबों के वास्ते खर्च करुंगा इसी प्रकार के विचार करता हवा पेथमकुमार अपने घर पर आ कर गरीबोंको दान देने लगा। गुरु भक्ति। एक समय माधव नाम का नाट पेथमकुमार के पास आ कर बधाई देने लगा कि हे स्वामिन् ! इस लोक और परलोकमें सुख देने वाले जिन सङ्गुरु में महाराज का आपने आश्रय लिया है वे ही गुरु महाराज श्री धर्मघोषसूरि की * थोमे दिनों में यहां पधारेंगे यह स* माचार सुनकर पथमकुमार को बहुत ही आनन्द प्राप्त हुवा, और ऐसी ब

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