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पेथडकुमारका परिचय
बह रहकर इधर उधर मजदूरी कर अपना उदर पोषण करने लगा। ___एक समय सूर्य समान तेजस्वी तपगहाधिपती श्रीमौनाचार्य श्रोधमघोषसूरीश्वर विद्यापुर म पधार और बमे बमे धनाढय लोगों को धर्मोपदेश
देकर परिग्रह परिमाण व्रत धारण * कराने लगे, उस वक्त पेथमकुमार को
गुरुवन्दन करते हुवे देख कर वहां बैठे में
हुवे श्रावक लोग उसकी हालत पर * हंसने लगे और सूरिजी से प्राथना
करने लगे कि स्वामीनाथ! “लाख वर्षे लदाधिपती और कोमवर्षे कोटीध्वज” ऐसे पेथमकुमार को परिग्रह की
परिमाण व्रत क्यों नहीं देते? इस पर - गुरुमहाराज ने कहा कि हे नाग्यवानो!