Book Title: Mandavgadh Ka Mantri Pethad Kumar Parichay
Author(s): Hansvijay
Publisher: Hansvijay Jain Free Library

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Page 45
________________ KKKK法次法术 मांडवगढकामन्त्री ५ कि यह साधुओं की बमी जुकानगीनी * जाती है वहां जाकर नव्य प्राणी व्रता दि क्रिया करते हैं । ददासेठ ने श्रावकोंसे प्रार्थना की कि कृपया यह पौषधशाला बनवानेकी मुळे आझादी जिए, इसपर श्रावकोंमेंसे एक श्रावक र ने कहा कि सेवजी! तुम्हारा कहना * यथार्थ है परन्तु यह पौषधशाला तो संघ ही बनवाना चाहता है अतएव आप ही को आदेश नहीं मिल स. कता! यह सुनकर देदासेठ बहुत * ही आग्रह करने लगा, इस पर एक श्रावकने कहा कि शेठजी, अगर • आपका ऐसा ही आग्रह है तो सुवर्ण में की पौषधशाला बनवादो ! सेठने इस में बात को शीघ्र ही स्वीकार करली, पर र

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