Book Title: Mandavgadh Ka Mantri Pethad Kumar Parichay
Author(s): Hansvijay
Publisher: Hansvijay Jain Free Library

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Page 18
________________ बादशाही खजानेसे भी खर्च किया गया था। इस महलके आसपास नसीम, नशात और शालामार नामके तीन बागीचे लगाये गये थे। जिन्हें देखकर मनुष्य उन्हें स्वर्ग और सुमेरु समझ लेते थे। जिनमें बादशाह नूरेजहां के प्रेममें मशगूल होकर दोनों जहांनांसे बेखबर फिरा करताथा । आज उस महलका नामोनिशान नहीं रहा है, बागीचोंमेंसे केवल एक बागमें कुछ साधारणसे पेड (वृक्ष खड़े हैं। इधर बम्बइ कलकत्ता जैसे भारतके सुप्रसिद्ध शहर कि, जहां कुछ समय पहले थोडे थोडे झापडे पडे. थे आज उनमें लाखों मनुष्योंकी बस्ती है। इससे सिद्ध है कि, आज जिसका उदय है कालांतरमें उसका अस्त है और आज जो सूखा पड़ा है कालांतर में वहखिलेगा। परिवर्तन रूपही तो संसार है । किसी कविने ठीकहो कहा है:-नीचैर्गच्छ त्युपरि च दशा चक्रनेमिक्रमेण." __इसी प्रकार आज जो मांडवगढ वीरान उजाडसा पडा है, वही मांडवगढ इस दशा था कि, जहां के रहने वाले सेठ-भैंसाशाहने करोड़ों रुपये खर्चके गुजरात देशके व्यापारियोंको नीचा दिखाया था ? यह कथा जैनसंप्रदाय शिक्षा आदि भाषाग्रंथों भी

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