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११ प्रतिदिन प्रातः और सायं दोनों समय प्रतिक्रमण करनेका नियम।
१२ त्रिकाल प्रभुपूजा करनेका नियम । ... " कुछ विशेष-ज्ञातव्य बातें.” - संसारमें प्रसिद्ध बात है कि, " जैसा आहार वैसा डकार" मनुष्यके अंत:करणके भाव उसके कार्योंसे जाने जाते हैं। मूल ग्रंथमें पेथड मंत्रीके ब्रह्मचर्य व्रतका वर्णन किया गया है, उसमें खास एक बात बडे मारकेकी है जो नीचे लिखी जाती है। ताम्रलिप्ती नगरीके भीमसिंह-सोनीने ब्रह्मचर्य व्रत स्वीकार किया उसकीखुशीमें अनेक ठिकाने समान धर्मवाले ब्रह्मचर्य व्रतधारी धर्मात्माओंको पोशाकेंभेजीं। शासन प्रभावक समझकर पेथडशाहको भी एक पोशाक भेजी। पेथडशाहने आदर पूर्वक वह पोशाक लेली परंतु पहनी नहीं। पेथ इशाहको इस वारेमें कुछ उदासीन देख कर उनकी धर्मपत्नीने पूछा कि, आप इस पोशाकको उपयोगमें क्यों नहीं लाते ? शेठजीने उत्तर दिया-प्रिये ! ब्रह्मचारिकी दी हुई वस्तु ब्रह्मचारीको ही शोभा देतीहै, मेरे जैसे कायरोंको उन पुरुषसिंहोंका वेश नहीं शोभता! हां यदि तूं अनुमति दें तो मैं भी ब्रह्मचर्यव्रत लेकर उन उत्तम पुरुषोंकी पंक्तिमें दाखिल हो सकता हूं। मैं संसारके विषय सुखोंको