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अगर मौला नजर शाजद, बहाए बे बहा गर्ददः । अर्थात्-“हे स्वामिन्! आपकी कृपा के विना मेरी कीमत आधे जौं जितनी भी नहीं है। और यदि आपको कृपा पूर्ण है तो मेरे जैसा धनवान् भी कोई नहीं है। बस फिर तो मैं बादशाहोंका भी बादशाह हूं।"
पुरातत्व के प्रथम अंक में विद्वद्वर्य मुनिश्री पुण्यविजयजीने एक प्रशस्तिका विवेचन करते हुये पेयडशाहके सुकतोंका वर्णन लिखा है, संभव है कि वह पैथड भी यहो होकि जिसका उल्लेख इस ग्रंथमें है । इतना तो अवश्य अनुमान हो सकता है कि, प्रशस्तिमें लिखे पेथडके समयमें भोलाकर्ण बालक था। तब भोला कर्णका बालक होना पेथडशाहके अस्तित्वका समय है। क्योंकि सारंगदेव पेथडका समानकालीन था। उसका समय विक्रम संवत् १३३० से १३५१ तकका है । सारंग देवका उत्तराधिकारी भोला कर्ण था, जो १३५१ में गादी पर बैठा था और ६ वर्ष १० मास १५ दिन तक गुजरातका छत्रपति रहा था।
___ एक पर्यालोचनाकितनेक लोग शंका करते हैं कि, इतमा धन आज क्यों नहीं ? उन महानुभावों को समझना चा