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है, राजस्थान जैन सभा, जयपूर द्वारा प्रकाशित स्मारिका समाज में अपना एक विशिष्ठ स्थान रखती है। स्मारिका के प्रकाशन का कार्य बिना अर्थ के संभव नहीं हो पाता । विज्ञापन ही अर्थ का माध्यम है। अतः हम समस्त विज्ञापन दाताओं के प्रति भी कृतज्ञता प्रकट करते हैं। इस सामग्री को जुटाने में श्री ज्ञानचन्दजी झांझरी, संयोजक विज्ञापन समिति एवं उनके अतिरिक्त सर्व श्री सुमेरकुमारजी जैन, कपूरचन्दजी पाटनी बाबूलालजी सेठी, देशभूषण जी सोगाणी, सोहनलालजी जैन, विनयचन्दजी पापड़ीवाल, वीरेन्द्रकुमारजी बज, प्रभाकरदेवजी डंडिया, महेशजी काला, नरेशकुमारजी सेठी, राकेशजी छाबड़ा, ने जो सहयोग दिया है उसके प्रति आभार प्रकट करते हैं। इसके अतिरिक्त सभा के अध्यक्ष श्री राजकुमारजी काला ने सभा व उसकी गतिविधियों को आगे बढ़ाने में सहयोग व मार्गदर्शन दिया है उसे कभी भुलाया नहीं जा सकता ।
इस अवसर पर हम अर्थ संग्रह हेतु सर्वश्री ताराचन्दजी शाह, कैलाशचन्दजी सौगाणी, (संयोजक गण अर्थव्यवस्था समिति) प्रकाशचन्दजी ठोलिया, भागचन्दजी छाबड़ा, विनयचन्दजी पापड़ीवाल, देवकुमारजी साह, तेजकरणजी सौगाणी आदि ने अथक परिश्रम करके जो सहयोग प्रदान किया है उसके लिए हम उनका प्राभार मानते हैं ।
स्मारिका के स्तर में उत्तरोतर वृद्धि करने हेतु सभा सतत् प्रयत्नशील है । पाठक गण सफलता का मूल्यांकन स्वयं करेंगे। यदि वे कमियों से तथा प्राने सुझावों से अवगत करावेंगे तो हम उनके आभारी होंगे।
स्मारिका का मुद्रण कार्य जैना प्रिन्टर्स एण्ड स्टेशनर्स, जयपुर ने किया है। संस्थान के मालिक श्री कैलाशचन्दजी साह व उनके सभी सहयोगी धन्यवाद के पात्र हैं।
अन्त में हम (मैं) स्मारिका के प्रकाशन में उन सभी महानुभावों के प्रति जिनका हमें अप्रत्यक्ष व प्रत्यक्ष रूप से सहयोग मिला है कृतज्ञता प्रकट करते हैं।
महावीर के सिद्धान्तों का प्रचार व प्रसार अधिकतम हो इसी आशा के साथ ।
रतनलाल छाबड़ा मंत्री, राजस्थान जैन सभा, जयपुर
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