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लघुविद्यानुवाद
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मन्त्र :-ॐ चंद्र परिश्रम परिश्रम स्वाहा । विधि -हस्त प्रमाण शर ग्रहीत्वा रघणि ताडयेत दिन २१ यावत् ततो रघरिणर्नश्यति । हस्त
प्रमाण शर (बारण) को लेकर इस मन्त्र से २१ दिन तक रघरिणवायु का ताडन करने से
रघरिणवायु नष्ट होती है । मन्त्र -ॐ शुक्ले महाशुक्ले ह्रीं श्रीं क्षीं अवतर अवतर स्वाहा ।
(सहयं जाप्यः पूर्व १०८ गुरणेते स्वप्ने शुभाशुभं कथयति ।) विधि -इस मन्त्र को १००८ बार जाप करके, फिर सोने के समय १०८ बार जाप करके सो जावे
तो स्वप्न मे शुभाशुभ मालूम होता है। मन्त्र :-ॐ अंगे फुमंगे फुग्नंगे संगे फु स्वाहा । ( बार २१ जलमभिमंत्र्यपिवेत्
शुलं नाश्यति ।) विधि :-इस मन्त्र से जल २१ बार मन्त्रित करके उस जल को पी जावे तो शूल रोग नाश
होता है। मन्त्र :-ॐ ह्रीं कृष्ण वाससे सुध्स सिंहबाहने सहस्त्र वदने महाबले प्रत्यंगिरे सर्वसैन्य
कर्म विध्वंसिनी परमंत्र छेदनी सर्वदेवाणारणी सर्वदेवारणारणी वंधि वाधि निकृतय निकृतय ज्वालाजिह्व कराल चक्रे ॐ ह्रीं प्रत्यंगिरे स्वाहा स्वाहा
स्वाहा शेषाणंद देवकेरी आज्ञाफुरई ४ घट फेरण मंत्र । विधि :-इस मन्त्र की विधि नही है । मन्त्र -ॐ नमो भगवते पार्श्वनाथाय धरणेन्द्र पद्मावती सहिताय अष्टादशवृश्चिकारणां
विषं, हर हर, प्रां कहां स्वाहा । विधि -इस मन्त्र को पढता जाय और बिच्छु काटे हुए स्थान पर झाडा देता जाय तो बिच्छु का
जहर उतर जाता है। मन्त्र -ॐ शिवरि फुट् स्वाहाः। विधि :-स्ववाहु प्रमार्जयेत दष्टस्य विष मुत्ररति । मन्त्र :-ॐ खुलु मुलु स्वाहा । विधि --वृश्चिक विद्ध आत्मन प्रर्दक्षणी कारयेत । मन्त्र '-ॐ कंख फुट् स्वाहा । विधि -इस मन्त्र की विधि नही है।