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लधुविद्यानुवाद
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मन्त्र :-ॐ चंद्रहास खङ्गन छिद २ भिद २ हुं फट् स्वाहा । विधि .-इस मन्त्र से फोडा को मन्त्रित करने से फोडा ठीक होता है। मन्त्र :-ॐ ह्र हां ह्रीं ह्रहः महा दुष्ट लूता, दुष्ट फोडी, दुष्ट वरण ॐ ह्रा ह्रीं
सर्व नाशय २ पुलित खङ्गन छिदि २ भिदि २ हुं फट् स्वाहा । विधि :- इस मन्त्र से १०८ बार फोडा फुन्सी, व्रण, मकड़ी विष को मन्त्रित करने से शान्त
होते है। मन्त्र -ॐ हड होडि फोडि छिन्न तल होडि फोडि छिन्न दिट्ठा होडि फोडि छिन्न
बाहोड़ि फोडि छिन्न सातग्रह चऊ रासी फोडि हगवंत कइ खांडइ छिन्नउ
जाहिरे फोडि वाय व्रण होइ। विधि .-कुमारी कन्या कत्रीत सूत मे इस मन्त्र से गाठ १४ दे, फिर गले मे या हाथ मे बाधे
तो सर्व प्रकार के फोडे-फुन्सी इत्यादिक दूर होते है और सर्व प्रकार की वायु नष्ट
होती है। मन्त्र :-पवणु २ पुत्र, वायु २ पुत्र हणमंतु २ भरगइ निगवाय अंगज्ज भरगइ । विधि -इस मन्त्र से भी सर्व प्रकार की वात दूर होती है । मन्त्र :-ॐ नील २ क्षीर वृक्ष कपिल पिंगल नार सिंह वायुस्स वेदनां नाशय नाशय २
फुट ह्रीं स्वाहा । विधि :-इस मन्त्र से भी वात रोग दूर होता है । मन्त्र :-ॐ रक्त विरक्त रक्त वाते हुं फट् स्वाहा । विधि -इस मन्त्र से स्त्रियो की या पुरुषो की लावण पड जाती है, वह दूर हो जाती है। मन्त्र :-ॐ महादेव प्राइ की दुट्टि दिकि सर्व लावरण छिदि २ भिदि २ जलि २
स्वाहा । विधि :-यह भी लावरण उतारण मन्त्र है । मन्त्र :- कविलउ कक्कडउ वैश्वानरु चालतउ ठः ठः कारी नपज्जलइ न शीतलउ थाइ
श्री दाहो नाथत्तरणी आज्ञा फुरइ स्वाहा। विधि :-वार १०८ पुरुष, स्त्रो, वाग्निदध्धोऽनेन मत्रेण धू धू कार्यते भव्यो भवति । यद्यने
नापायेननोपशाम्यति तदा तैल मभिमन्त्र्य दीयते भव्यो भवति ।