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लघुविद्यानुवाद
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पुत्रोत्पत्ति के लिये मन्त्र मन्त्र :-ॐ ह्रीं श्रीं क्लीं अर्ह असि पाउसा नमः । विधि :-सूर्योदय से १० मिनिट पूर्व उत्तर दिशा मे, दक्षिण, पूर्व, पश्चिम. उर्व, अधो दिशाओ मे
क्रमश २१-२१ बार जप करे । पुन १० माला फेरे, मध्यान्ह मे १० माला, साय काल १० माला जपे। पुन स्वप्न आवेगा, तब निम्न प्रकार की दवाई देवे, मयूर पख की चाद २, शिवलिगी का बीज १ ग्राम, दोनो को बारीक खरल करे, ३ ग्राम गुड़ मे मिलाकर रजो धर्म की शुद्धि होने पर खिलावे, पहले या दूसरे माह मे ही कार्य सिद्ध हो जायेगा।
। अथ वृहद् शांतिमन्त्रः प्रारभ्यते ।
इस शाति मन्त्र को नियमपूर्वक पढने से अथवा शाति धारा करने से सर्व प्रकार के रोक शोक व्यतरादिक बाधाये एव सर्व कार्य सिद्ध करने वाला और सर्व उपद्रवो को शात करने वाला है अत. इसे नित्य ही स्मरण करना चाहिये ।
ॐ ह्री श्री क्ली ऐ अर्ह व म ह स त प व २ म २ हं २ स २ त २ प २ झ २ इवी २ ६वी २ द्रा २ द्री २ द्रावय २ नमोऽर्हते भगवते श्रीमते ॐ ह्री को [ +देवदत्त नामधेयस्य ] पाप खण्ड २ हन २ दह २ पच २ पाचय २ कुट २ शीघ्र २ अर्ह झ्वी क्ष्वी ह स झ व व्ह प.ह क्षा क्षी क्षु क्षे झै क्षो क्षौ क्ष क्ष क्षी ह्रा ह्री ह ह ह्रो ह्रौ द्रा द्री द्रावय द्रावय नमोऽर्हते भगवते श्रीमते ठ ठ ठ ठ [ x देवदत्त नामधेयस्य ] श्रीरस्तु । सिद्धि रस्तु । वृद्धिरस्तु । तुष्टि-रस्तु । पुष्टि-रस्तु । शान्ति रस्तु । कान्तिरस्तु । कल्याणमस्तु स्वाहा ।।
ॐ निखल भुवनभवनमगलीभूतजिनपतिसवनसमयसम्प्राप्ता । वरममिनवकर्पू रकालागुरुकु कुमहरिचदनाद्यनेकसुगन्धिबन्धुरगन्ध द्रव्यसम्भारसम्बन्धवन्धुरमखिल दिगन्तरा-लव्याप्त-सौरभातिशयसमाकृष्टसमदसामजकपोलतलविगलित--मदमुदितमधुकर- निकराहत्परमेश्वरपवित्रतरगात्र - स्पर्शनमात्रपवित्रिभूत-भगवदिदगन्धोदकधारा वर्षमशेप हर्ष निवन्धन भवतु [ देवदत्त नामधेयस्य । शान्ति करोतु । कान्तिमाविष्करोतु । कल्याण प्रादु करोतु । सौभाग्य सन्तनोतु । आरोग्य मातनोतु ।