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लघुविद्यानुवाद
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विधि.-१३६ यत्र लिखना । १३६ दिन मे रोज १ यत्र लिखना, जवकि रोटी खाणी घीव, नही
खाणा और उस यत्र को रोज आटे मे डालकर नदी में बहा देना। १३७ वे दिन यत्र लिखकर दाहिने गोडे के नीचे दवाकर रखना। यत्र देवता ले जाएगा, कुछ रुपये रख जावेगा । मन्त्र जाप करता रहे।
सात मे घर मोहन करै नर नार ।।७।। मन्त्र -ॐ नमो सर्व मोहनी मेल राजा पाय पेल जो मैं देखू मार मार करता, सोई मेरे पाव पड ता,
रावल मोह देवल मोह स्त्री मोह पुरुष मोह नार सिह वीर तेरी शक्ति फुरे, दाहिना चाल नार सीघ बांया चाले, हनवत मेरे पिड प्रान का रीछपाल होडी मोह जहा मेग मन चालै
तहा मोह गुरु की शक्ति मेरी भक्ति फुरो मन्त्र ईश्वरो वाचा । विधि -१३६ वार जाप करना जहा जावे वहा सफल होय ।
आठवे घर तै होय उजाड ।।८।। मन्त्र .-ॐ नमो ॐ लमोल वोटा हनवत वीर वज्र ले बैठा काकड़ा, सुपारी, पीले पान, मेरे दुश्मन घर उजाड करो, काढो प्रारण गुरु की शक्ति मेरी भक्ति फुरो मन्त्र ईश्वरो वाचा।
। विधि नही है। नौ मे घर ते हाजरात कहावे ।।६।। मन्त्र .-ॐ मनो कामरू देश ने कामख्या आई, ता डड राता ही माई, राता वस्त्र पहरि पाई राता
जाप जपती आई, काम छ, काम धारणी रक्त पाट पहरणी पर मुख बोलती आई वेग मन्त्र
उतार लेही, मेरी भक्ति गुरु की शक्ति फुरो मन्त्र ईश्वरो वाचा।। विधि -लडकी को लाल वस्त्र पहनाकर बैठावे, दीपक जलावे, अगूठे पर काजल लगाकर मत्र
बोलकर हजरात चढावे।
दस मे घर फल उपजै सारा धरती, नारि, तीर जच विचारा ॥१०॥ मन्त्र :-ॐ नमो मन पवन पवन पठारा के राव बधै गरम रहै ॐ हठा ॐ कचे मासौ फुलै कपास पुरै __ मासे होई नीकास नदी अपुठी गगा बहे । अर्जुण साधे वाण पुरे मासे निकासे सही सतो
हणवत जती की प्राण गुरु की शक्ति मेरी भक्ति फुरो मन्त्र ईश्वरो वाचा। विधि :-यन्त्र लिखकर कमर के बाँधे, सतान होवे. खेत मे गाडे तो अनाज अच्छा ऊपजे ।
ग्यारह मे घर ते लिखे जो कोई, लिख मेटे जीवे नही कोई ॥११।। मन्त्र - काल भैरो ककाल का तो वाही कलेजा भुज कली रात काला मै अरु चढे मसारण जिस हम
चाहे तिस तु प्राण कडी तोड कलेजा फोड नौमे छार मे द्वार लोहु जोल श्राव तो छरै न पावतो कलेजा फुटे गुरु की शक्ति मेरी भक्ति फुरो मन्त्र ईश्वरो वाचा ।