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लघुविद्यानुवाद
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(८) ह्रीकार मे देवदत्त लिखकर, उपर अष्ट दल कमल बनावे, उन आठो ही दलो मे र कार
लिखे। देख यन्त्र न. ८ ।
चधि :-इस यन्त्र को धारण करने से स्त्रियो को सौभाग्य की प्राप्ति होती है । (8) ह्रीकार मे देवदत्त लिखे, फिर चतुर्थ दल का कमल बनावे, उन चारो ही, दलो मे माया
वीज (ह्री) को लिखे । यन्त्र न ६ देखे ।
(१०) ह्री श्री देवदत्त ह्री श्री लिखकर ऊपर अष्टदल का कमल बनावे, उस कमल दल प्रत्येक
मे क्रमश ह्री श्री लिखे । यन्त्र रचना इस प्रकार हुई। यन्त्र न. १० देखे ।
वधि :-इन तीनो यन्त्रो मे से जो कार्य वाला यन्त्र है उसको बनाकर धारण करने से उसी प्रकार
का कार्य होता है । यन्त्र को केशर, गोरोचन से भोज पत्र पर लिखकर कुमारी कत्रीत सूत्र से यन्त्र को वेष्टित करे। न ८ और भुजा मे धारण करे। बच्चो को तो शाति रक्षा न. ६ होती है । भौर सर्वजन प्रिय होता है । दुर्भाग्य स्त्रियो का सौभाग्य होता है । न १०
प. श्लोक नं० २, विधि नं० १, यन्त्र नं. ४
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देिवदत्त
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