SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 489
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ लघुविद्यानुवाद ४२५ (८) ह्रीकार मे देवदत्त लिखकर, उपर अष्ट दल कमल बनावे, उन आठो ही दलो मे र कार लिखे। देख यन्त्र न. ८ । चधि :-इस यन्त्र को धारण करने से स्त्रियो को सौभाग्य की प्राप्ति होती है । (8) ह्रीकार मे देवदत्त लिखे, फिर चतुर्थ दल का कमल बनावे, उन चारो ही, दलो मे माया वीज (ह्री) को लिखे । यन्त्र न ६ देखे । (१०) ह्री श्री देवदत्त ह्री श्री लिखकर ऊपर अष्टदल का कमल बनावे, उस कमल दल प्रत्येक मे क्रमश ह्री श्री लिखे । यन्त्र रचना इस प्रकार हुई। यन्त्र न. १० देखे । वधि :-इन तीनो यन्त्रो मे से जो कार्य वाला यन्त्र है उसको बनाकर धारण करने से उसी प्रकार का कार्य होता है । यन्त्र को केशर, गोरोचन से भोज पत्र पर लिखकर कुमारी कत्रीत सूत्र से यन्त्र को वेष्टित करे। न ८ और भुजा मे धारण करे। बच्चो को तो शाति रक्षा न. ६ होती है । भौर सर्वजन प्रिय होता है । दुर्भाग्य स्त्रियो का सौभाग्य होता है । न १० प. श्लोक नं० २, विधि नं० १, यन्त्र नं. ४ unar - देिवदत्त - -
SR No.090264
Book TitleLaghu Vidyanuwada
Original Sutra AuthorN/A
AuthorLallulal Jain Godha
PublisherKunthu Vijay Granthamala Samiti Jaipur
Publication Year
Total Pages693
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Philosophy, & Religion
File Size28 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy