Book Title: Laghu Vidyanuwada
Author(s): Lallulal Jain Godha
Publisher: Kunthu Vijay Granthamala Samiti Jaipur

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Page 677
________________ लघुविद्यानुवाद ..... "मनोवेगा (मोहनी) यक्षिणी"--स्वर्ण वर्ण तथा अश्व वाहन वाली, चार भुजा वाली है। हाथो मे वरदान, तलवार, ढाल और फल को धारण करने वाली है। (चित्र न. १२) । क्षेत्रपाल–४ कालाचन्द्र, कल्पचन्द्र, कुमुत चन्द्र कुमुद्र चन्द्र। , (७) श्री सुपार्श्वनाथजी (स्वस्तिक का चिन्ह) . "मातङ्ग यक्ष" कृष्ण वर्ण वाला, सिह की सवारी करने वाला, टेढा मुह वाला, दाहिने हाथ मे त्रिशूल, बाएं हाथ मे दड को धारण करने वाला है। (चित्र न० १३) "काली देवी (मानवी) यक्षिणी" -- श्वेत वर्ण वाली, बैल की सवारी करने वाली चार भुजा वाली है। हाथो मे घटा, फल, त्रिशूल और वरदान को धारण करने वाली है। (चित्र न० १४) क्षेत्रपाल-४ विद्याचन्द्र, खेमचन्द्र, विनयचन्द्र । ' . (८) श्री चन्द्र प्रभुजी (चन्द्रमा का चिन्ह) "श्याम यक्ष"-कृष्ण वर्ण, कबूतर (कपोत) की सवारी करने वाला, तीन नेत्र तथा चार भुजा वाला है। बाएं हाथ मे फरसा और फल, दाएं हाथ मे माला और वरदान युक्त है। (चित्र न० १५) "ज्वाला मालिनी (ज्वा लनी) यक्षिणी"---श्वेत वर्ण भंसा (महिप) की सवारी करने वाली तथा आठ भुजा वाली है । हाथो मे चक्र, वनुष, नाग पाश, ढाल, वारण, फल, चक्र और वरदान है। (चित्र न० १६) क्षेत्रपाल-४ सोम काति, रविकाति, शुभ्र काति, हेम काति। (६) श्री पुष्पदन्तजी (मगर का चिन्ह) "प्रजित यक्ष"-श्वेत वर्ण वाला, कछुप्रा की सवारी तथा चार हाथ वाला है। दाहिने हाथो मे अक्ष माला है और वरदान तथा बाऐ हाथो मे शक्ति और फल को धारण करने वाला है। । चित्र न १७) __ "महाकाली (भृकुटि) यक्षिणी"-कृष्ण वर्ण वाली, कछया की सवारी तथा चार मजा वाली हैं हाथो मे वच, फल, मृग्दर और वरदान युक्त है। (चित्र न १८) क्षेत्रपाल-४ वञकाति, वीरकाति विष्णुकाति. चन्द्रकाति ।

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