Book Title: Laghu Vidyanuwada
Author(s): Lallulal Jain Godha
Publisher: Kunthu Vijay Granthamala Samiti Jaipur

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Page 676
________________ ६१० लघुविद्यानुवाद - - क्षेत्रपाल-.-४ क्षेम भद्र, क्षाति भद्र, श्री भद्र, शान्ति भद्र। (३) श्री संभवनाथजी (घोड़े का चिन्ह) "त्रिमूख यक्ष"-कृष्ण वर्ण वाला, मोर वाहन वाला, तीन नेत्र व तीन मुख वाला, छह भुजा वाला, बाएं हाथ मे चक्र, तलवार व अकुश और दाहिने हाथो मे दड, त्रिशूल और तीक्ष्ण कतरनी को धारण करने वाला है। (चित्र न० ५) "प्रज्ञप्ति यक्षिणी"-श्वेत वर्ण, पक्षी की सवारी, छह हाथ वाली, हाथ मे अर्द्ध चन्द्रमा, फरसा, फल, तलवार, तूम्बी और वरदान का धारण करने वाली है। (चित्र न० ६) क्षेत्रपाल~-४ वीर भद्र, वलि भद्र, गुण भद्र, चन्द्राय भद्र। (४) श्री अभिनन्दननाथजी (वानर का चिन्ह) "यक्षेश्वर यक्ष"-कृष्ण वर्ण वाला, गज की सवारी, चार भुजा वाला, बाएं हाथ में धनुष और ढाल, दाहिने हाथ मे बाण और तलवार धारण करने वाला है। (चित्र न० ७) "वज्र शृखला यक्षिणी"-स्वर्ण सी काति वाली, हस वाहिनी, चार भुजा वाली, हाथो मे नाग पाश, बिजोरा फल, माला और वरदान धारण करने वाली है। (चित्र न०८) । क्षेत्रपाल-४ महा भद्र, भद्र भद्र, शत भद्र, दान भद्र। (५) श्री सुमतिनाथजी (चकवे का चिन्ह) " "तुम्बरु यक्ष"-कृष्ण वरण वाला, गरुड की सवारी और यज्ञोपवीत धारण करने वाला, चार भुजा वाला है। ऊपर के दोनो हाथो मे सर्प, नीचे दाहिने हाथ मे वरदान तथा बाएं हाथ मे फल धारण करने वाला है। (चित्र न० ६) "पुरुष दत्ता यक्षिणी"- (खड्नवरा) स्वर्ण के वर्ण तथा हाथी की सवारी करने वाली, चार भुजा वाली है। हाथो मे वज्र, चक्र और वरदान धारण करने वाली है। (चित्र न० १०) __क्षेत्रपाल-४ कल्याण चन्द्र महा चन्द्र, पद्म चन्द्र, नय चंद्र। ' (६) श्री पद्मप्रभुजी (कमल का चिन्ह) . "पुष्प यक्ष"- कृष्ण वर्ण वाला, हरिन- वाहन, चार भुजा वाला । (वसु नन्दि प्रतिष्ठा कल्प मे चार भुजा वाला है ।। दाहिने हाथ मे माला व वरदान तथा वाऐ हाथ मे ढाल और अभय को धारण करने वाला है। (चित्र न० ११)

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