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मंत्र साधन व फल :
षोडशं काव्यस्य क्यूँ बीजं श्रीं शक्ति, पंचविशति मन्त्राक्षरे । ॐ नमो भगवते धरणेंद्र पद्मावति सहिताय ह्रीं श्रीं वां व्री क्षां क्षीं प्रों ह्रीं नमः । श्रनेन मन्त्रेण श्रष्टादश सहस्त्रेन १८००० जाप्यं कृत्वा श्वेत पुष्प, श्वेत सिद्धार्थ, व नारिकेल संयुक्त दिने होम कृत्वा, तत्मंत्र सिद्धिर्भवति, तस्य प्रभावेन, वंध्या पुत्रवति भवति, नव प्रकारेन् वहिभयं न भवति ।
श्लोक नं. १६ विधि नं. ३ यंत्र नं. १
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लघुविद्यानुवाद
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भयनिवारक यन्त्र
इस यन्त्र को मुगन्धित द्रव्य से लिखकर ग्रष्ट द्रव्य से पूजा करे । श्रथवा सोना, चादी व ताँबा के ऊपर ख़ुदवाकर ग्रप्टद्रव्य मे पूजा करे तो दुर्बुद्धि का नाश होता है और परकृत