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लघुविद्यानुवाद
कर घी, धूप जलाता हुआ ॐ ह्री पचागुली रक्ष २ स्वाहा। इस मन्त्र का जप १११ बार करे तो शत्रु को फिर से शान्नि लिखे, सर्व विघ्न दूर हो।
बाकी के तीन मन्त्र और यन्त्र के बीच मे और आजू-बाजू लिखे हुये है। उन
मन्त्रो के फल भी जैसा मन्त्र मे शब्द विवरण आया हुआ है वैसा ही समझना। पंचांगुली मूल मन्त्र -ॐ ह्री श्री पचागुली देवी मम सरीरे सर्व अरिष्टान् निवारणाय नम
स्वाहा, ठ ठ । इस मूल मन्त्र का पूर्ण विधि विधान से सवालक्ष जप करे तव पचागुली देवी सिद्ध होगी, सर्वकार्य की सिद्धि होती है ।। ६५ ।।
ज्वाला मालिनी यंत्र विधि मन्त्र :-ॐ ह्री श्री अर्ह चद्र प्रभु स्वामिन्न पादपकज निवासिनी ज्वाला मालिनी रवाहा
नित्य तुभ्य नम ।
इस यन्त्र को सुगन्धित द्रव्यो से भोजपत्र पर लिखकर, उपरोक्त मन्त्र का जप सवा लक्ष विधि विधान से करे तब सर्व कार्य की सिद्धि हो, सर्व रोग शात हो, महादेवी श्री ज्वाला मालिनी जी का वरदान प्राप्त होता है। पश्चात विशेप कर्म के लिये अलग २ पल्लव जोडकर मन्त्र का जप करने से वैसा ही कार्य सिद्ध हो। एक यन्त्र ताबा अथवा चादी अथवा सोना, अथवा कासे पर खुदवाकर यन्त्र प्रतिष्ठा करके घर में स्थापित करने से, सर्व विघ्न बाधा दूर हो । जो भोजपत्र पर लिखा हुआ यन्त्र है उसको स्वय के हाथ मे ताबीज मे डालकर बाधे, तो सर्वकार्य सिद्ध हो ।। ६६ ।।
मृत्यं जय ज्वाला मालिनी यन्त्र मन्त्र को विधि मन्त्र :-ॐ ह्रा ह्री ह ह्रौ ह्र हा आ क्रौ क्षी ह्री क्ली ब्लू द्रा द्री ज्वाला मालिनी सर्वग्रह
उच्चाटय २ दह २ हन २ शीघ्र २ हू फट घे घे। --उपरोक्त मन्त्र का जप सवालक्ष, प्रमाण विधि विधान से करे पश्चात ज्वाला मालिनी विधान मन्त्र का दशास होम करने से सर्व प्रकार की अपमृत्यु का नाश होता है। यन्त्र भोजपत्र अथवा कोई भी धातु के पत्रे पर खुदवाकर, प्रतिष्ठा करके घर में स्थापित करने से यन्त्र को धोकर पीने से, सर्वरोग शोक शात होते है । ६७ ।।