Book Title: Laghu Vidyanuwada
Author(s): Lallulal Jain Godha
Publisher: Kunthu Vijay Granthamala Samiti Jaipur

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Page 671
________________ लघुविद्यानुवाद ६०७ - यत्र नं० १६३ देवदत्त हाहा इस यन्त्र को अष्टगध से भोजपत्र पर लिखकर मस्तक पर बाधने से पीलिया रोग दूर होता है ।।१०३॥ TALIRIT PRODnom ॥ यन्त्राधिकार इति ।। भगवान महावीर के अहिंसा का सारः "तुम स्वयं जीरो और जीने दो।" पढ़ लेने से धर्म नहीं होता, पोथियों और पिच्छी से भी धर्म नहीं होता, किसी मठ में भी रहने से धर्म नहीं है और केशलोंच करने से भी धर्म नहीं कहा जाता । धर्म तो प्रात्मा में है उसे पहचानने से धर्म की प्राप्ति होती है ।

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