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लघुविद्यानुवाद
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इस शाकिन्यादि को दूर करने के यन्त्र को अष्टगध से भोजपत्र पर लिखकर उस यन्त्र को एक चोकी पर स्थापन कर, विधि पूर्वक यन्त्र मे लिखे हुये मन्त्र का साढे वारह हजार जप करे, यन्त्र की पूजन नित्य करे, जब जप पूरे हो जाय तब दशास आहुती देवे, यन्त्र को गले मे या हाथ मे बाधने से भूत, प्रेत, राक्षस, शाकिनी, डाकिनी की वाधा दूर होती है । ५७ ।
अथ घन्टा कर्ण मन्त्र संक्षेप वीधि
ॐ घटाकर्णो महावीर सर्व व्याधि विनाशक , विस्फोटक भय प्राप्ते, रक्ष २ महावल यत्र त्व तिप्ठ से देव लिखितो क्षर पक्ति भि. रोगास्तत्र प्रणश्यति वातपित्त कफोद्भवा । तत्र राज भय नास्ति, याति कर्णे जपात्क्षय, शाकिनी, भूत, वैताला राक्षसा प्रभवति न ।। ३ ॥ ना काले मरण तस्य न च सप्र्पण डस्यते । अग्नि चोर भय नास्ति ॐ घटा कर्णो नमोस्तुते । विधि :-- शुभ दिन देखकर रवि पुष्य या रवि मूल या और कोई शुभ दिन मे कोरे धुले हये
कपडे पहन कर महावीर प्रभु की प्रतिमा के आगे दीपक जलाकर नैवेद्य चढाकर
आठ जाति के धान्य को अलग ढेर लगाकर एक मुक्त आहार करे, ब्रह्मचर्य व्रत पाले और मन्त्र का साढे बारह हजार जप करना, दिन १४ मे अथवा १२ मे पूरा करना, तब मन्त्र सिद्ध होगा, सर्वकार्य सिद्ध होय, इस मत्र को तीनो काल मे पढने से मृगी रोग घर मे कभी भी नही आवे, सोते समय तीन बार पढकर तीन बार ताली बजाकर सोवे तो, सर्प भय, चोर भय, अग्नि भय, जल भय इत्यादि नही होता है। अछता पानी को इस मन्त्र से २१ बार मन्त्रीत कर छाटा देने पर, अग्नि नही लगेगी तथा एक वरिण गाय के दूध को २१ बार मन्त्रीत कर छाटा देवे तो अग्नि बुझ जायेगी। मन्त्र को कागज पर लिखकर घटा मे बाधे तो और घटा बजावे तो जहा जहा आवाज जाये वहा २ के उपद्रव सब मिटते है। कन्या कत्र त सूत्र मे ७ गाठ लगाते हये मन्त्र से २१ बार मन्त्रीत कर बच्चे के गले मे वाधने से नजर नही लगती है। कन्या कत्रीत सूत्र को २१ बार मन्त्रीत कर धूप देकर हाथ मे बाधे तो एकातरा ज्वर जाता है। इसी मन्त्र की दूसरे प्रकार से विधि कहते है - दीवाली की रात्रि तथा शुभ मुहूर्त मे प्रारभ कर भगवान महावीर के सामने ब्रह्मचर्य पालन करते हये पूर्वोक्त विधि से १२ दिन मे साढे वारह हजार जप पूरा करे। फिर गुग्गुल अढाई पाव, लाल चन्दन, घृत, विनौला (कपास के वोज), तिल, राई, सरसो दूध, दही, गुड, रक्त कनेर के फूल, सब चीजो को मिलाकर, साढ वारह हजार गोली बनाना फिर एक २ मन्त्र के साथ एक २ गोली आग मे खेवना, इस प्रकार साढे वारह हजार जप पुरा कर, फिर दशास होम करना, तव मन्त्र सिद्ध होगा, नित्य ही भगवान की पूजा करना, माला लाल चन्दन की होनी चाहिए।