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लघु विद्यानुवाद
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उत्कृष्ट लीला को करने वाली है, ज्रा न्री स् त्र ये चार अक्षर के मत्रो से पवित्र है और जो चन्द्रमा की किरण के समान उज्ज्वल तथा दूध की धारा के समान गौरवर्ण वाली, जिनकी जटा सर्प से बँधी हुई है, जो कालकूट विष को दूर करने वाली है, हा हा हु ऐसा शब्द करने वाली हाथ मे कमल को धारण करने वाली, हे देवि पद्मावती मेरी रक्षा करो ||७||
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श्लोक नं. ७ के यन्त्र मन्त्र
(१)
वहु पक्षिना मे देवदत्त गर्भित करके वेष्टित करे फिर सोलह दल वाला कमल बनावे, उन दलो मे क्रमश अ आ इ उ ऊ ऋ ॠ लु लू ए ऐ ओ औ अ अ लिखकर बाहर 'कार से वेष्टित करे, फिर बारह दल का कमल बनावे | उन दलो मे क्रमश हो हो ह ह बाहर लिखे । ह कार दोनों सपुट करे, बाहर झवी वी हस वेष्टित करे । फिर बाहर एकार द्वय सपुटस्थ करके मायावीज को त्रिगुणा वेष्टित करे । इस मन्त्र को कहा गया जो यन्त्र पूर्वोक्त है । उसी प्रकार का खा गा घा
चा छा ज्वी ज्वी नम । १५55
इस मन्त्र को गरुड ध्वज मंत्र कहते है । एक हजार जाप से मंत्र सिद्ध होता है । लेकिन कर (हाथ) जाप्य करना चाहिये, माला वगैरह से नही ।
२-ॐ क्षां
सहूं
ॐ क्रों खों
१-ॐ कों पवं कं हंसः । ह्रीं स्वीस नौ हंसः । ३-ॐ कु कुवलय हं सः । ४ गां घां चां छां ह्रीं क्लीं नमः । ५-ॐ क्षिप ॐ स्वाहा | ६-ॐ ह हा हि ही हु हु हे है हो हो हं हः । ७-ॐ ॠ ं बंह्न : पक्षि वः स्वी । ८-ॐ को पं वं कं हंसः ठः स्वाहा । ६-ॐ कुरु २ कुलेण उपरि मेरूतल विषउपजु मन्नु गरूडाहि हा हंसः पक्षियः ३ को पं वं हंस हंस । ॐ स्वाहा हा हा हंसः पक्षि ॥
ये सब गरूड मन्त्र है, इन सब मे पहला मन्त्र पद्मावती का ध्यान और पूजन करने का है, कितना ध्यान करना चाहिये सो नहीं लिखा है, किन्तु इस प्रकार मत्रो का १०८ बार सामान्यतया प्रतिदिन जप करना चाहिये, उसी प्रकार प्राराधक शातिकर यन्त्र का ध्यान पूजन करना चाहिये ।
मंत्र का दूसरी प्रकार से भी जप किया जाता है लेकिन चक्रमुद्रा से जप किया जाता है । तीसरे प्रकार से मंत्र का जाप लाल कनेर के सुगन्धित फूलो से जाप करना है ।