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लघुविद्यानुवाद
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श्लोक नं० २ विधि नं० १ यन्त्र नं० १३
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इस यंत्र से आयु वृद्धि, अपमृत्यु से रक्षा, भूत पिशाच, ज्वर स्कंद, अपस्मार ग्रह से पीड़ित तत्क्षरग ठीक होते है
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(१४) देवदत्त लिखकर षटकोणाकार बनावे षटकोण के कर्रिएका मे क्रमण. ह्र, ॐ ॐ ह्र
ह ह ह्र लिखे बाहर हा ही स्वाहा लिखे ऊपर एक वलयकार वनावे उस
वलयाकार मे ॐ ह्रा ह्री ह्र हौ ह. यक्षः । ह्री कार का तीन घेरा लगावे | यह बना । यन्त्र न. १४ देखे ।
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