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लघुविद्यानुवाद
२) अब आगे करीब पाच यन्त्र उच्चाटन प्रयोग के है, उनमे अशुद्ध द्रव्यो का प्रयोग व कफन, रक्त आदि का प्रयोग लिखा है, सावधान होकर क्रियानो को करो, नही तो स्वय का उच्चाटन हो जाओगे ध्यान रखो, ये क्रियाये दूसरे को हानि पहुँचाने रूप है, जो दूसरे को हानि पहुँचाता है उसकी हानि अति शीघ्र होती है, मैं तो ये ही समझता
हूँ कि इन क्रियानो मे हाथ नही लगावे । (१८) य कार मे देवदत्त गर्भित करके, ऊपर पटकोणाकर बनावे, उस पटकोण की कणिका मे
र र लिखे । यन्त्र न १८ देखे । विधि -इस यन्त्र को श्मशान के कोयले से, कौया के पख से कफन के टुकडे पर लिखे, फिर
श्मशान मे गाड देवे तो उच्चाटन होता है। यन्त्र गाडने के समय मन्त्र को सात वार जपना चाहिये।
श्लोक नं० २ विधि नं० १ यन्त्र नं० १६
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देवदत्त ।
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महाज्वर कारक यन्त्र