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लघु विद्यानुवाद
विधि
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- ११६ यन्त्र लिखे । मन्त्र की १०८ जाप करै । कौवे की पाख व श्मसान के कोयले की राख से लिखे ।
बारह मे घर तँ लिख जो कोई टोटा नही नफा फुन होई ||१२||
३६२
मन्त्र — ॐ गरणवाणी पत रह मसाणी सो मै मागु ले ले ग्राऊ काची नदी क व मै दीय फुल २ म्हा फुल जपै जगत्र दस कोस पच कोसी ग्राहक ले ग्राऊ गुरु की शक्ति मेरी भक्ति फुरो मन्त्र ईश्वरो वाचा |
विधि :- १३६ यन्त्र लिखे, हाट मे गाडे बहुत ग्राहक आवे |
तेरहवा घर तै लिखे सुजान प्राणी सु करें है निदान || १३||
चौदह घर ते चौदह विद्या कही लिख लिख पीव पडित हो सही ।
मन्त्र :- ॐ ह्री श्री वदवद् वाग वादनी सरस्वती मम् विद्या प्रसाद कुरु २ स्वाहा । विधि - यन्त्र १३६ लिख लिख के पानी में घोलकर पीवे तो पण्डित हो । पन्द्रह घर ते लिखे मन लाय गुप्त ही आये गुप्त ही जाय ।
मन्त्र — ॐ नमो उच्छिष्ट चडालिनी क्षोभरणी द्रव्य आरणय पर सुख कुरु २ स्वाहा । विधि – यन्त्र लिखके पावे । एक अपने पास रखे तो गुप्त आवे गुप्त जावे । सोलह घर तै कारज सब करे आपा राखे भूल न करे ।
इन जत्र को जानी भेष सब कोई करे तिसकी सेव ॥ १६ ॥
मन्त्र :- ॐ ह्री श्री ग्री प्री चउसठ जोगनी की रक्षा करेगी कुरु २ स्वाहा । विधि :- यन्त्र १३६ पीवरणा एक आपरणा पास राखणा रक्षा करे ।
शस्त्र न लगे यंत्र
जम
आली मसकरोज'
हनुमानजी २०
२१ 06
ર૬.
१२२२ राम
१ नोरोज
रावण
विधि :- इस यन्त्र को प्रात' जव तारे व सप्तर्षी मगल के उतारे का समय हो, स्नान कर, नये वस्त्र