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लघुविद्यानुवाद
इस यन्त्र को रवि पुष्य व शुभयोग मे भोजपत्र, चादी, ताबा के पतरे पर व कामी की थाली मे खुदवावे । रवि हस्त अथवा मुला गुरु पुष्य मे भी दीवाली के दिन बन सकता है। यन्त्र का पचामृताभिषेक कर, चन्दन पुष्पादि से पूजा करना चाहिये । जाई जुई के १०८ पुष्प रखे । मन्त्र बोल कर एक-एक फूल थाली मे चढावे। एक टुकडा अगरबत्ती का लगावे और लकडी से एक टकोर थाली मे लगावे (बजावे)। १०८ बार होने पर थाली मे श्री फल, पचरत्न की पोटली तथा रुपया एक चादी का रख दे । एक कासी की थाली मे यन्त्र लिख ले। इन दोनो यन्त्रो की एक ही विधि है ॥७७-७८॥
यन्त्र न० ७८
६२.
ॐघंटाकणेमार
घोर
31
३५
७२
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८|
Date
२
कामचERAYUK
यन्त्र नं ७६
रोगनिवारणपत्र.
इस चन्द्र यन्त्र को रूपा (चादी) के पतरे पर खुदवाना, अष्टगध से, चद्र ग्रहण मे लिख कर अपने घर मे रखे, फिर आवश्यकता पड़ने पर तीन दिन तक धोकर पिलावे तो रोग मिट जाये । शनिवार, रविवार, गुरुवार को इसे धोकर सवेरे पिलावे, कफ, गुल्म नष्ट हो जाये। इसका पूजन करने से जहा जाये, वहाँ जय होय सब काम सफल होय ७६।।
समतवार्षिणीअमृत
श्वभाषणेममअमृतदाह उरुस्वाहाठठसा
हममसरोगनष्ट
ठस्वाहा