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लघुविद्यानुवाद
यन्त्र न० २३६
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ॐ नमो पञ्चागुलि २ परम सरिसता मय गल वशीकरण लोहमइ डड मोहिणी वज्रमयी कोटा फाटनी चौषट् कामरण निह डणीरण मध्ये रावल मध्ये शत्रु मध्ये डाकिनी मध्ये नाम मध्ये जिको मुड ऊपर विराउ करावइ जडई जडाबई चिन्ते चिन्तावई मन धरई धरावई तीन मध्ये पचागुलि तणुवज्रनिर्धात पढई सत्यम |
ये मन्त्र यन्त्र के चारो तरफ लिखे । ये मन्त्र सर्वकार्य ऊपर श्रेष्ठ है । भुजा अथवा गले,मे बाधे तो भूत, प्रेत, डाकिनी, शाकिनी की बाधा दूर हो । राजा प्रजा सर्व वश्य होते है, धूप से पूजा करे || २३६॥
यन्त्र न. २३७
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यह मन्त्र लिख बाधे शाकिनी, डाकिनी छाया भूतादि दोष जाये । वशी होय सही ।। २३७ ॥