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लघुविद्यानुवाद
मन्त्र - ॐ इटि मिटि भस्मं करि स्वाहा ।
विधि :- अनेन बार १०८ जलमभिमन्त्र्य पाय्यते उदर व्यधोपशाम्यति ।
मन्त्र
- ॐ ह्री सर्वे ग्रहाः सूर्यागारक बुध, वृहस्पति, शुक्र, शनिश्चर, राहु, केतु, सहिता सानुग्रहा मे भवन्तु । ॐ ह्री अ सि श्रा उ सा स्वाहा ।
विधि
मन्त्र — ॐ रक्त े रक्तावते हुं फट् स्वाहा ।
विधि - कुमारी सूत्रेण कटक कृत्वा रक्त करण वीर पुष्प १०८ जाप्य दत्वा कटीवधयेत् रक्त प्रवाह नाशयति ।
- अस्या स्मृताया प्रतिकूला अपि गृहा ग्रनुकूला भवन्ति ।
मन्त्र - ॐ ह्रीं श्रीं धनधान्य करि महाविद्य श्रवतर २ मम गृहे धन धान्यं कुरू २
स्वाहा ।
विधि
- वार ५०० अक्षताभिमत्र्य त्रयाणके क्षिप्यते ऋयो विक्रयो लाभश्च भवति । मन्त्र :- ॐ शुक्ले महाशुक्ले ही श्री क्षी अवतर २ स्वाहा । विधि व फल :- १००८ नाम पूर्व १०८ गुणिते स्वप्ने शुभाशुभ कथयति ।
मोहिनी स्तंभ स्तंभिनो उरग वाहिनी मुकुट कुण्डल केयूर हारा भरणभूषिते > यक्षी लक्ष्मी पद्मावती त्रिनेत्रेपाशांकुश फलाभय वरद हस्ते मम अभी सिद्धि कुरु २ मम चितित कार्यं कुरु २ ममोषध सिद्धि कुरु २ स्वाहा ।
मन्त्र :- ॐ नमोर्हते भगवते बहुरूपिणी जम्भे
विधि - इस मन्त्र का त्रियोग शुद्ध कर श्रद्धापूर्वक जपने से सर्वकार्य सिद्ध होते है । औषधियो की सिद्धि होती है । इस मन्त्र की सिद्धि पूज्यपादाचार्य को थी, और इसके प्रभाव से देवी जी श्री पद्मावती माताजी ने पूज्य पादाचार्य के पाव के तलवो मे दे
धियो का लेप कर दिया था, उन औषधियो के प्रभाव से विदेह क्षत्र मे उन !! का आकाश मार्ग से गमन हुआ था ।