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लघुविद्यानुवाद
विधि :-मन्त्र जप प्रात. काल शुद्ध होयकर लक्ष्मी प्राप्त होय । वार २१-१०८ सुपारी, चावल,
मन्त्रि जिस वस्तु मे घालै सो अक्षय होय । ये मन्त्र पढ दीप, धूप खेवै भोजन वस्तु भाडार
मे अक्षय होय । उज्जवल वस्त्र के शुद्ध आदमी भीतर जायें। मन्त्र .-ॐ श्रीं ह्रीं क्षीं क्लीं महालक्ष्म्यै नमः ॐ नमः भगवऊ गोमय मस्स सिद्धस्स
बुद्धस्स, अक्खीणस्स भास्वरी ह्रीं नमः स्वाहा । विधि :-मन्त्र नित्य प्रातः काले शुचिर्भूत्वा दीप-धूप विधानेन जपै लाभ होय । लक्ष्मी प्राप्त
होय । मन्त्र :-ॐ नमो भगवते गौतम स्वामिने सर्व लब्धि सम्पन्नाय मम अभीष्ट सिद्धि
कुरु कुरु स्वाहा । विधि :-वार १०८ प्रतिदिन जपिये । जय होय । कार्य सिद्धि होय । मन्त्र :-ॐ ह्रां ह्रीं ह्र ह्रौ ह्रः ज्वां ज्वी ज्वालामालिनी चोर कंठं ग्रहण २
स्वाहा। विधि :-शनि रात्रि चौखा (चावल) धोय, वार २१ मन्त्रि कोरी हाडी माहि धालिये' (रवि प्रभाते
गुहली देय वार २१ मन्त्रि चावल खवावै चोर के मुख लोहू पडै । मन्त्र :-ॐ चक्र श्वरी चक्रवेगेन कट्टोरक भ्रामय २ चोरं ग हय २ स्वाहा । विधि :-कट्टोरक भमना पूर्व मन्त्र्य चोरमेव गृहणाति कटोरा चलावन भस्मना पूर्व मन्त्र्य चोरमेव
गृहणाति कटोरा चलावन मन्त्रम् । मन्त्र :-ॐ ह्रीं श्री ह क्ली असि प्रा उ सा धुलु २ कुलु २ सुलु २ अक्षयं में कुरु
कुरु स्वाहा। विधि :-पच परमेष्ठी मन्त्रीय त्रिभुवन स्वामिनी विद्या । अनेन लाभो भवति जप १०८ वार नित्य करे। गुरु आम्नायेन सिद्धम् ।
काक शकुन विचार जिस समय अपने मकान की हद मे काक बोल उसी समय अपने पैरो से अपनी परछाई नाप ले जितने पैर हो उसमे ७ का भाग दे। शेषफल का शकुन इस प्रकार है। पहले पगले अमृत फल लावै, द्वितीय पगले मित्र घर आवै, तीसरे पगले मित्तर हान, चौथे पगले श्री कष्ट जान । पाचने पगले (जीये न कोय) सुख सम्पति लाक, छठवे पगले निशान व जावै, सातवे पगले जीया न कोय। काक बचन नहीं झूठा
होय।