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लघुविद्यानुवाद
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विधि :-इस मन्त्र का विधान मगल के दिन से प्रारम्भ करे । गुलाब का इत्र अपने शरीर पर
लगावे । गुलाब के फूल चढावे । एक चौकी पर या आले मे चमेली के फूलो का चौको चबूतरा बना ले । वहा देवो की स्थापना करे । धूप बत्ती जलावे, धूप खेवे, धूप मे जावित्र अवश्य मिलावे, गाय के घी का दीपक जलावे, मिष्ठान्न चढावे और आम्रफल विशेष रूप से चढावे । नित्य प्रति प्रथम नेमिनाथ स्वामी को पूजा करके देवी की पूजन
करना। मन्त्र :-ॐ कुरु कल्लो हां स्वाहा ।। विधि :- लाल वस्त्र पहिनकर एकान्त मे एक लाख जप करे तो आकर्षण होता है। मन्त्र :-ॐ हूं हूं सं सं अमुकं फट् स्वाहा । विधि :-विधि भडारित करदी गई। मन्त्र .-ॐ ह्रीं श्रीं क्लीं प्रर्ह नमो। विधि :- खाने के सात पान ऊपर एक श्वाश मे मन्त्र लिखना, और खिलाना जिसको खिलानो वह
वश मे होय। मन्त्र .-ॐ नमो विकराल रूपाय महाबल पराक्रमाय अमुकस्य भुजवत्सलं बंधय २
दृष्टि स्तभय २ अंगानि धुनय २ पातय २ महीतले हुँ । विधि :-इस मन्त्र का एक हजार जप करे और शत्रु का मन्त्र मे नाम डाल दे तो शत्रु की शक्ति
का छेद हो जाता है । जड के समान हो जाता है। मन्त्र :-ॐ नमो काल रात्री त्रिशूलधारिणी मम शत्रु सेन्यं स्तंभनं कुरु २ स्वाहा । विधि -भी वारे गृहीत्वा तु काकोल्लूकपक्षयो, भूर्येपत्रे लिखेन्मत्र, तस्य नाम समन्वित गोरोचन
गले वध्वा, काकोल्लूकपक्षयो सेनाना समुख गच्छेत् नान्यनाश करोदित शब्द मात्रे सैन्य मध्ये, पलायतेति निश्चित राजा, प्रजा, गजा श्चश्व, नान्यथा च महेश्वरी।
तथा :मन्त्र :-ॐ नमो भयंकराय परम भय धारिणे मम शत्रु सैन्य पलायनं कुरु कुरु
स्वाहा। विधि .-इस मन्त्र को भौमवार क काला कौवा और उल्लू के पख लेकर इस मन्त्र को भोजपत्र
पर लिखकर गले मे बाधना । उन दोनो पंखो के साथ, फिर शत्र की सेना के सन्मुख जावे तो सेना देखते ही भाग जावे।