________________
लघुविद्यानुवाद
१८३
हो जाय तब २१ बार णमोकार मन्त्र को जप लेना, इस तरह करने वाले को सर्व प्रकार भय नष्ट होते है और प्रानन्द मगल हो जाता है ।
मन्त्र :- ॐ ह्रीं गमो जिरणाणं, ॐ ह्रीं अर्ह प्रागासगामीगं, ॐ ह्रीं श्रीं वद वद वाग्वादिनी भगवती सरस्वती मम विद्यासिद्धि कुरु कुरु ।
विधि
विधि :- इस मन्त्र का अधिक जाप करने से ऐसा लगेगा कि मै प्राकाश मे उड रहा हूँ । जाप करने के बाद भगवान की व सरस्वती देवी की पूजा करे, जप आँख मीच कर करे तब मन्त्र सिद्ध होगा । उसके पश्चात् कोई भी मन्त्र या विद्या सिद्ध करने मे देर नही लगेगी तत्काल सिद्धि होगी। आयु का ज्ञान होगा, कष्ट निवारण होगा।
मन्त्र :- ॐ ह्रीं क्लीं क्रौ क्रौ बटु काय आपद, उद्धारणाय कुरु कुरु बटु काय ह्री
व्यनमः
- इस मन्त्र का साढे बारह हजार जप विधि पूर्वक करे, विशेष पूजन करे, तब देव प्रत्यक्ष होगा अथवा स्वप्न में दीखेगा और स्पष्ट उत्तर देगा । इस मन्त्र का जाप अत्यन्त सावधानीपूर्वक करना नही तो पागल कर देता है ।
सहदेवी कल्प
सहदेवी के पेड के नीचे शनिवार की रात्रि को जाकर १ सुपारी रखे, सहदेवी को धूप दिखा कर हाथ जोड विनयपूर्वक प्रार्थना करे कि हे सहदेवी प्रात मै तुमको अपने यहाँ पधराऊ गा, ऐसा कह कर घर आ जावे, रविवार को प्रात होने के पहले जाकर फिर १ फल भेंट कर ये मन्त्र इक्कीस बार पढे ।
मन्त्र :- ॐ नमो भगवती सहदेवी सद्वत हय नीसद्व वद्व कुरु कुरु स्वाहा ।
विधि - इस मन्त्र से मन्त्रित कर जड सहित सहदेवी को बाहर निकाले और मौन बने अपने स्थान पर आकर एक पाटे पर स्थापन कर धूप, दीप, फल भेट करे और फिर उसका रस निकाले, और उस रस मे गोरोचन व केशर डाल कर गोली बनावे, जब कभी काम हो तब गोली को घिस कर तिलक कर के जावे तो इच्छित व्यक्ति वश मे होगा । विजय होगी, सहदेवी की जड हाथ मे बाँधने से रोग नष्ट होता । इसके चूर्ण को पीस कर गाय के घी मे मिला कर पीने से बन्ध्या स्त्री गर्भ धारण करती है। प्रसूति के समय कष्ट हो रहा हो तो इसको कमर से बाधने पर शान्ति से प्रसव होता है। कण्ठ माला रोग होने पर हाथ मे बाँधे हाथ में बाघ कर प्रस्थान करे तो जय पावे । शत्रु के सामने विवाद पड जाने पर जड को पास मे रखे तो जय पावे ।
1