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लघुविद्यानुवाद
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मन्त्र :-ॐ ह्रीं क्षीं सों क्षं क्षं क्षं मेघ कुमार केभ्यो वृष्टि स्तभय २ स्वाहा । विधि :- श्मशान मे प्यासो जाप जपै मेघ का स्तभन होगा। मन्त्र :-ॐ नमो भगवते विश्व चिन्तामरिण लाभ दे रूप दे, जश दे जय दे पानय २
महेसरिमनवांछितार्थ पूरय २ सर्व सिद्धि वृद्धि ऋद्धि सर्व जन वश्यं कुरु कुरु
स्वाहा। विधि :-चिन्तामणि मन्त्रोयम्, निल्य जपै सर्व सिद्धि होय प्रभात सध्या जपै धूप खेवै। मन्त्र :-ॐ नमो हम्ल्यू मेघ कुमारणां ॐ ह्रीं श्रीं नमो सम्व्या मेघ कुमारि
काणां वृष्टि कुरु कुरु ह्रीं सवौषट । विधि :-सहस १२ जपेत वृष्टिकृत्सद्य । मन्त्र :-ॐ स्फ्रांरक्त कम्बले देवी द्यूत मृतं उत्था पय २ आकाशं भ्रामय २ जलद
मानय २ प्रतिमांचालय २ पर्वत कंपय २ लीला विलासं ओ ओ ओं नमः । विधि -अनेन मन्त्रेण कुम-कुम मिश्रिते जवात्से रभिता नभि मन्त्रायाडगे स रक्त पादौ क्षिप्यते
जलदागम । इद मत्र इटय हरिताल कुम कुमाद्य लिखेत् । इस मन्त्र को ईंट के ऊपर हरिताल और केशरादि से लिखकर भूमि के अन्दर गाड़े तो वृष्टि रुक जाती है।
याने पानी बरसना बद हो जाता है। मन्त्र :-ॐ नमो सुग्रीवाय हनुमंताय सर्व कीटकका मक्षि काय पिपीलिका विले प्रवेश
२ स्वाहा। विधि -यदा रविवारे सूर्य सक्रमण भवति तदा रात्रौ बार १०८ सहस्रो जपित्वा कीटी नगरे
क्षिप्यते सर्वथा कीडी जाय। मन्त्र :-ॐ चिकि २ ठः ३ । विधि -बार २१ अनेन जप्त सूत्र शय्या बद्ध मत्कुण । इस मन्त्र को २१ बार जप कर सूत्र को
शय्या मे बाघने से खटमल कम होते है। मन्त्र -ॐ नमो भावी टीडी हु अ ऊ उकाम छाडयउ मन्दिर मेरु कवित्र हाकाइ
हनुमंत हूकई भीम छां-डिरे टीडी हमारी सीम । विधि -बार १०८ अभिमन्त्रय सरसप ने बाल खेत मे चोकर छोटे टीडी जाय बार १०८ अभिमन्त्र्य
सरसप ने बेल खेल्लने चौकेर छीटे टीडी जायें।