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________________ लघुविद्यानुवाद २०५ मन्त्र :-ॐ ह्रीं क्षीं सों क्षं क्षं क्षं मेघ कुमार केभ्यो वृष्टि स्तभय २ स्वाहा । विधि :- श्मशान मे प्यासो जाप जपै मेघ का स्तभन होगा। मन्त्र :-ॐ नमो भगवते विश्व चिन्तामरिण लाभ दे रूप दे, जश दे जय दे पानय २ महेसरिमनवांछितार्थ पूरय २ सर्व सिद्धि वृद्धि ऋद्धि सर्व जन वश्यं कुरु कुरु स्वाहा। विधि :-चिन्तामणि मन्त्रोयम्, निल्य जपै सर्व सिद्धि होय प्रभात सध्या जपै धूप खेवै। मन्त्र :-ॐ नमो हम्ल्यू मेघ कुमारणां ॐ ह्रीं श्रीं नमो सम्व्या मेघ कुमारि काणां वृष्टि कुरु कुरु ह्रीं सवौषट । विधि :-सहस १२ जपेत वृष्टिकृत्सद्य । मन्त्र :-ॐ स्फ्रांरक्त कम्बले देवी द्यूत मृतं उत्था पय २ आकाशं भ्रामय २ जलद मानय २ प्रतिमांचालय २ पर्वत कंपय २ लीला विलासं ओ ओ ओं नमः । विधि -अनेन मन्त्रेण कुम-कुम मिश्रिते जवात्से रभिता नभि मन्त्रायाडगे स रक्त पादौ क्षिप्यते जलदागम । इद मत्र इटय हरिताल कुम कुमाद्य लिखेत् । इस मन्त्र को ईंट के ऊपर हरिताल और केशरादि से लिखकर भूमि के अन्दर गाड़े तो वृष्टि रुक जाती है। याने पानी बरसना बद हो जाता है। मन्त्र :-ॐ नमो सुग्रीवाय हनुमंताय सर्व कीटकका मक्षि काय पिपीलिका विले प्रवेश २ स्वाहा। विधि -यदा रविवारे सूर्य सक्रमण भवति तदा रात्रौ बार १०८ सहस्रो जपित्वा कीटी नगरे क्षिप्यते सर्वथा कीडी जाय। मन्त्र :-ॐ चिकि २ ठः ३ । विधि -बार २१ अनेन जप्त सूत्र शय्या बद्ध मत्कुण । इस मन्त्र को २१ बार जप कर सूत्र को शय्या मे बाघने से खटमल कम होते है। मन्त्र -ॐ नमो भावी टीडी हु अ ऊ उकाम छाडयउ मन्दिर मेरु कवित्र हाकाइ हनुमंत हूकई भीम छां-डिरे टीडी हमारी सीम । विधि -बार १०८ अभिमन्त्रय सरसप ने बाल खेत मे चोकर छोटे टीडी जाय बार १०८ अभिमन्त्र्य सरसप ने बेल खेल्लने चौकेर छीटे टीडी जायें।
SR No.090264
Book TitleLaghu Vidyanuwada
Original Sutra AuthorN/A
AuthorLallulal Jain Godha
PublisherKunthu Vijay Granthamala Samiti Jaipur
Publication Year
Total Pages693
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Philosophy, & Religion
File Size28 MB
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