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________________ २०६ लघुविद्यानुवाद मन्त्र :-ॐ ॐ ॐ ठ सइफल नव सह भुज पंच ग्राम कूठ तनइ पापिली जइ जउइणि करिण कीडउ पडइ। विधि :-निट्ठी लिखधान कण मध्ये अथवा जीर्णधान कण मभिमन्त्र्य अन्न मध्ये क्षिप्यते । धान __ सुलै नाही। मन्त्र :-ॐ नमो भुज नायाय तद्यथा हर-हर ससि-ससि मिलि-मिलि सर्वेषां प्राणिना मुंडं बंधं करोमि स्वाहा । विधि :-तीन सै गुणी जै सरसप बेलुमन्त्र्य सस्य मध्ये क्षिप्यते धान सुलै नाही। मन्त्र :--ॐ नमो नार सिघ तू घूधरियालो सबह वीरह खरड पियारउ ॐ तली धरती ऊपर-आकाश मरहि मृगी जइ लहइ प्रकाश । विधि -जि बार मृगी प्रावै ति बार श्याही मसि सू माथे लिख जै, मन्त्र भरिण प्रौपधि नाख दीज मृगी जाय। मन्त्र :---ॐ नमो आदेश गुरु कू तेरह सरसौ, चौदह राई, हाट की धूलि, मसान की छाई पढ़कर मारु मंगलवारै तो कदई नावह रोग द्वारे फुरई मन्त्र ईश्वरो वाचा। विधि --बारई मगलवारे इण मन्त्र सू मन्त्रि तेरइ महिला, ७ सरसप, ७ राई, १ चुटकी चौराहे की धूलि, एक चुटकी मसान की छाई (राख) एकठा कर मन्त्रइ मगल वारै दोषाइत मे नाखिजे अबरता गले मन्त्रि बाधिये आदित्य वारे । एकठा करिए मगलवारे कीज मृगी जाय। मन्त्र :-ॐ नमो ऊँचो पर्वत मेष विलास सुवरण मगा चरइ तसु आस-पास श्री रामचन्द्र धनुष बाण चढ़ाया आजि रे मगा तुझको रामचन्द्र मारने पाया गुरु की शक्ति मेरी भक्ति फुरो मन्त्र ईश्वरो वाचा । विधि :-वर्षाकाले रवि दिने धनुप भवति तदा कुमारी सूत्र नो डोरो नव लड कीजै धनुष सामा जो इने बार ७ मन्त्रि गाठि दशक दीजै। इम गाठ दीजै कार्य काले रवि दीने गाठ। तावीज माहि घालि गले राखिए मगी जाए। मन्त्र :-ॐ चन्द्र परिश्रम २ स्वाहा ।, विधि -१०८ जप सरसो से ताडि रीगन वाय जाय।
SR No.090264
Book TitleLaghu Vidyanuwada
Original Sutra AuthorN/A
AuthorLallulal Jain Godha
PublisherKunthu Vijay Granthamala Samiti Jaipur
Publication Year
Total Pages693
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Philosophy, & Religion
File Size28 MB
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